राजधानी में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। आंकड़े भी यही हकीकत बयां कर रहे हैं। जनवरी से अगस्त तक डेंगू के मरीजों की संख्या कुल 95 थी। वहीं, सितंबर से 14 अक्टूबर तक 130 डेंगू मरीज मिले। इनमें से 32 मरीज ऐसे हैं जो डेंगू पॉजिटिव हैं, लेकिन जिला मलेरिया कार्यालय के अमले को न तो उनके पते मिल रहे हैं और न ही उनके मोबाइल पर कॉल लग रहा है। ऐसे में इनके घरों और आसपास के घरों में डेंगू लार्वा सर्वे नहीं हो पाया है।दरअसल, जब भी डेंगू का कोई नया मरीज मिलता है तो उसके घर के साथ ही साथ आसपास के 50 घरों में डेंगू लार्वा सर्वे किया जाता है। जिला मलेरिया कार्यालय की टीमें इस क्षेत्र में सक्रिय होकर यहां लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम भी करती हैं। जिन घरों में डेंगू लार्वा मिलता है उसे नष्ट करने की कार्रवाई की जाती है। ताकि, डेंगू फैलाने वाले मच्छर पनप ही न पाएं। लेकिन, मरीज नहीं मिलने के कारण उनके घरों के आसपास डेंगू लार्वा सर्वे नहीं हो पा रहा है।
पता गलत होने की यह हैं तीन खास वजह
- पहली- अस्पताल में मरीज आधार कार्ड, राशन कार्ड समेत कोई अन्य दस्तावेज लगाता है तो वह वर्षों पुराना होता है। उसमें पुराना पता ही दर्ज होता है, जबकि व्यक्ति कहीं और रहने लगा।
- दूसरी- कुछ लोग जानकर पता और मोबाइल नंबर गलत दर्ज कराते हैं ताकि रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर टीमें सर्वे के लिए उनके घर ना पहुंचे। ताकि आसपास के लोगों को पता न चले।
- तीसरी- दूसरे शहरों से इलाज के लिए आने वाले लोग शहर में रिश्तेदारों के घर रुकते हैं, वहीं का पता दर्ज करा देते हैं। टीम जब दिए पते पर जाती है तो रिश्तेदार जानकारी छुपा लेते हैं।