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भारतीय किसान यूनियन की सभी मांगों को मानकर तीनों काले कृषि कानून वापस ले सरकार - दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश, GoonjMP Updated : Monday, 27 Sep 2021

भोपाल। केंद्र सरकार के किसान विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन ने आज देश व्यापी बन्द का आव्हान किया था। इस भारत बन्द को सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया। भोपाल की करोंद मंडी में भाकियू द्वारा आयोजित धरने प्रदर्शन में भारतीय किसान यूनियन के नेता, सीपीआई, सी.पी.एम. व काँग्रेस सहित अन्य दलों ने हिस्सा लिया। 

किसानों द्वारा किये गए भारत बंद के दौरान किये गए प्रदर्शन में सम्मिलित हुए किसानों को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव में जिस घोषणा पत्र के आधार पर चुनी गई उसमें इन कानूनों का कोई उल्लेख ही नहीं था। इन किसान विरोधी कानूनों के बारे में और उसे लागू करने के पहले किसी भी किसान संगठन कोई चर्चा तक नहीं की गई थी। ये तीनों कानून एक साथ इसलिए लाये गए क्योंकि इस देश में कृषि उत्पादों का 15 से 18 लाख करोड का जो व्यवसाय होता है उसमें बड़ा व्यापरी इसलिए नहीं आ पाता क्योंकि उसेे हर मण्डी में जाके अपना लाईसेंस लेना पडेगा। मोदी सरकार ने उद्योगपतियों को फायदा देने के लिए ये कानून लागू कर दिया कि एक लाईसेंस ले लो और देश भर में कहीं से भी आप अपना ऑनलाईन ट्रेडिंग कर सकते हो याने कि सरकारी मंडियां समाप्त हो जाएगी। और उसके बाद फिर प्राईवेट मण्डी खोलने का भी इन्होने प्रावधान किया है। पूर्व सीएम ने कहा कि जब गांधी जी चंपारण में आंदोलन कर रहे थे तब ब्रीटिश हुकूमत में भी किसानों को अदालत में जाने का अधिकार था। लेकिन इन तीनो काले कानून में किसानों का अदालत जाने का अधिकार नही है। यदि कोई उनका माल खरीदकर पैसा नहीं देता है तो वे अदालत में नहीं जा सकते। अदालत में नही जा सकने का मतलब सरकार ने किसानों के मौलिक अधिकार को ही छीन लिया है इसलिए हम इन कानूनों का विरोध करते हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरी बात ये है की जब प्रतिस्पर्धा खत्म हो जायगी तो किसानों को उसकी उपज का माल सस्ते में बेचना पडेगा जैसा कि बताया गया अभी कि जब मिनिमम सपोर्ट प्राईज सरकार देती है तब एक कीमत होती है जिस दिन न्यूनतम मूल्य खरीद खत्म हो जाती है उस दिन भाव तीन-तीन, चार-चार सौ रूपये टोटल कम हो जाती है ये भी एक बहुत बडा भ्रष्टाचार है कि जब किसान की फसल आती है तो बाहर से, विदेशों से आयात शुरू हो जाता है अब जैसा कि हमारे पूर्व वक्ता ने बताया इम्पोर्ट ड्यूटी आज से पांच दिन पहले इन्होने आयात के तेल पर कम की है तो उसका लाभ किसे मिलेगा उसका लाभ उपभोक्ता को नहीं मिलेगा उसका लाभ मिलेगा आयात करने वाले को और पेक्ड माल बेचने वाले को। 

दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं किसान संगठनों से अनुरोध करूंगा कि राजनैतिक पार्टियों को आमंत्रित करिये और भाजपा को भी आमंत्रित करिये लेकिन राजनैतिक पार्टियों से परहेज मत करिये राजनैतिक पार्टियां भी किसानों के हक़ की लडाई लड रहे हैं और इसलिए उनके साथ मंच साझा करने में आपको एतराज नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान और मजदूर की लडाई में न कांग्रेस पीछे हटी है और न ही कभी हटेगी, ये मैं आज आप सब को आश्वस्त करना चाहता हूँ।  मैंने तो हमेशा इस बात की कोशिश की है कि हम लोग सब मिलकर काम करें क्योंकि आज प्रश्न इस बात का नहीं है कि सरकार भाजपा की बने या किसी और कि बने। प्रश्न इस बात का है की सरकार ऐसी  हो जो कम से कम गरीब की हो, मज़दूर की हो, किसान की हो, छोटे और मध्यम व्यापारी की हो। न कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों की हो। राहुल गांधी ने ठीक कहा था कि ये मोदी-शाह सरकार, सूट-बूट की सरकार है मतलब बड़े बड़े उद्योगपतियों की सरकार है इसलिए हम इन काले कानूनों का विरोध करते हैं।

भारत बंद के दौरान हुए इस प्रदर्शन में भारत किसान युनियन के संगठन के अनिल यादव, सीपीआई के कॉमरेड शैलेन्द्र शैली, किसान सभा के निर्मल लाल बैरागी, सीपीएम के कॉमरेड जसबिन्दर और कांग्रेस के नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, जिला कांग्रेस के शहर अध्यक्ष कैलाश मिश्रा, ग्रामीण अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव, प्रदेश महामंत्री मनोज शुक्ला, पूर्व महापौर सुनील सूद सहित अन्य किसान नेता व विपक्षी दलों के अन्य कार्यकर्ता गण उपस्थित थे।